सही रीडिंग के लिए कम से कम तीन बार जांचे ब्‍लड प्रेशर

सही रीडिंग के लिए कम से कम तीन बार जांचे ब्‍लड प्रेशर

सुमन कुमार

किसी व्‍यक्ति को हाई ब्‍लड प्रेशर की शिकायत है या नहीं इसके बारे में अंतिम फैसला लेने से पहले डॉक्‍टरों को संबंधित मरीज की एक सीटिंग में कम से कम तीन बार ब्‍लड प्रेशर की जांच करनी चाहिए। हालिया अध्‍ययन बताते हैं कि सिर्फ एक बार ब्‍लड प्रेशर की जांच कर किसी को हाई ब्‍लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन का मरीज घोषित करने के मामलों में 63 फीसदी मामले गलत साबित होते हैं। इन्‍हीं अध्‍ययनों को देखते हुए अब शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि किसी को हाइपरटेंशन का मरीज घोषित करने से पहले डॉक्‍टर के पास उसके एक दौरे के दौरान तीन बार ब्‍लड प्रेशर मापा जाना चाहिए क्‍योंकि किसी व्‍यक्ति को गलत तरीके से हाइपरटेंशन का शिकार घोषित करने से उसे अनावश्‍यक इलाज और दवाओं के खर्च का बोझ सहना पड़ता है।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के शोध ने संकेत दिया है कि पैरों को एक-दूसरे पर चढ़ा कर रखने अथवा बात करने तक से बीपी की गणना में बदलाव आ सकता है। एसोसिएशन ने सात सामान्य त्रुटियों की पहचान की है जिससे रक्तचाप की माप गलत हो सकती है। हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप आज सबसे अधिक फैली स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं में से एक है। हर 5 में से लगभग 1 भारतीय इससे पीड़ित होता है, जिसके कारण इसकी नियमित जांच करना अनिवार्य है।

इस बारे में बात करते हुए, हार्टकेयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष पद्मश्री डॉ के.के. अग्रवाल ने कहा, ‘एक व्यक्ति का बीपी पूरे दिन बदलता रहता है। अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद कई मरीज़ डॉक्टर को देखने भर से आशंकित हो सकते हैं। इसके कारण बीपी में तेज वृद्धि हो सकती है। क्लिनिक में उच्च रक्तचाप के शिकार पाए जाने वाले लगभग 20% से 30% मरीज़ क्लिनिक के बाहर निकलते ही सामान्‍य हो जाते हैं। इसे व्हाइट कोट रक्‍तचाप कहा जाता है और इसकी पहचान इस बात से की जाती है कि संबंधित व्‍यक्ति का बीपी कार्यालय या घर पर सामान्‍य रहता है मगर डॉक्‍टर को देखते ही बढ़ जाता है। ऐसे रक्‍तचाप का पता 24-घंटे एबीपीएम या स्व-दर्ज रीडिंग द्वारा लगाया जा सकता है अथवा बीपी दर्ज करने के लिए एक नर्स की सेवा ली जा सकती है। इस तरह के उच्‍च रक्‍तचाप का प्रभाव वर्षों तक बना रह सकता है। इसकी च‍िकित्‍सा के लिए मरीज का बीपी हर दिन एक ही वक्‍त पर मापा जाना चाहिए और उसके भोजन और दवाओं के संबंध को भी रोजाना दर्ज करना चाहिए।’

एबीपीएम रक्‍तचाप नापने का एक डिजिटल तरीका है जिसमें एक डिजिटल मशीन आपके ऊपरी बांह के चारों ओर एक कफ फुलाकर और फिर धीरे-धीरे दबाव जारी करके आपके रक्तचाप को लेती है। इस मशीन को आपकी बेल्ट पर 24 घंटे के लिए लगाया जाता है। यह पूरे दिन नियमित अंतराल पर बीपी रीडिंग को नोट करता है और इसे रात भर रखा जाना चाहिए।

डॉ. अग्रवाल कहते हैं कि बीपी की सटीक माप हृदय रोग और स्ट्रोक को रोकने में कारगर होती है। हाई बीपी हृदय रोग के प्रमुख कारणों में से एक है और अगर इसे नियंत्रण में रखा जाए, तो इससे जुड़ी स्वास्थ्य स्थितियों का बोझ कम हो सकता है। जीवनशैली में बदलाव जैसे कि सोडियम और शराब का सेवन कम करना, स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम बीपी के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।

बीपी मापने में क्‍या गलत‍ियां करते हैं लोग

बीपी नापते समय ब्‍लाडर भरा न रहे: ये एक आम लापरवाही है जो अधिकांश लोग करते हैं। दरअसल ब्‍लड प्रेशर की जांच करने से पहले अगर पेशाब की थैली को पूरा खाली न किया जाए तो ब्‍लड प्रेशर का आंकड़ा सही नहीं आता है। ब्‍लाडर पर बनने वाला दबाव बीपी की रीडिंग को बिगाड़ देता है।

झुक कर बैठना, पीठ में किसी तरह का सपोर्ट न होना: ये स्थिति आपके ब्‍लड प्रेशर की रीड‍िंग को 6 से 10 प्‍वाइंट तक बढ़ा सकती है। ये सुनिश्चित करें कि जब आप बीपी की जांच कर रहे हैं तब आपकी पीठ दृढता से किसी कुर्सी पर टिकी हो और पैर किसी फुटस्‍टूल पर मजबूती से जमे हों।  

हाथों पर किसी तरह का सपोर्ट न होना: यदि आपका हाथ बीपी की रीडिंग लेते समय लगातार हिल रहे हों या आपको उन्‍हें ऊपर उठा कर रखना पड़े तो निश्चित मान‍िये कि आपके रीडिंग में 10 प्‍वाइंट तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए बीपी की जांच करते समय अपने हाथों को किसी कुर्सी या काउंटर पर सीधा रखें ताकि बीपी जांचने वाला कफ हृदय के लेवल तक रहे।

कपड़े के ऊपर से कफ लगाना: कई डॉक्‍टरों के यहां भी अकसर कपड़े के ऊपर से बीपी नाम लिया जाता है। हालांकि इसके कारण बीपी 5 से 50 प्‍वाइंट तक का अंतर आ सकता है। इसलिए ये सुनिश्चित करें कि कफ आपकी नंगी बांह पर लगा हो।

यदि कफ छोटा हो तो: ऐसी स्थिति में आपकी रीडिंग 2 से 10 प्‍वाइंट तक बढ़ सकती है। इसलिए हमेशा कफ की सही साइज का ध्‍यान रखें

पैरों को क्रॉस करके बैठना: यदि आप शांत हैं तो भी इस स्थिति में आपका बीपी 2 से 8 प्‍वाइंट तक बढ़कर आ सकता है। इसलिए बेहतर है कि बीपी जांचते समय पैरों को खुला रखें और पैरों को किसी सपोर्ट पर टिकाकर रखें।

बात करना: बीपी जांचते समय लोगों से बात करना, फोन पर बातचीत करना आदि आपकी रीडि़ंग को सीधा 10 प्‍वाइंट बढ़ा देगा। इसलिए बीपी लेते समय एकदम शांत रहना चाहिए।

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